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05 जनवरी, 2015
उड़ी पतंग
उडी पतंग
जीवन डोर बंधी
रुक न सकी |
वो कट गई
आसमां में भटकी
कच्चा था मांझा
थपेड़े सहे
खुले आसमान में
नन्हीं जान ने |
बेटी पतंग
उड़ चली पी संग
हुई अनंग |
कटती डोर
वायु ने झझकोरा
कोई न ठौर |
फटी पतंग
आसमान से गिरी
उलझी डोर |
आशा
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