मनोभाव हैं
गागर में सागर
मनमोहक |
ताका :-है जलनिधि
गहन व गंभीर
संचय करे
अमूल्य रत्नों का ही
फेंकता अपशिष्ट |
जनम मृत्यु
ना हाथ में किसी के
प्रभु की लीला |
माया ठगनी
भ्रमित कर रही
प्रभु की लीला |
धरा उत्फुल्ल
नव पल्लव धारी
मंहा प्रसन्न |
आया वसंत
छा गई है बहार
छटती धुंध |
ताका :-है जिन्दगी क्या
टहनी फूलों भरी
पुष्प खिलते
वह झुकती जाती
होती जिन्दगी वही |
आशा
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