12 जून, 2015

गागर में सागर


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मनोभाव हैं
गागर में सागर
मनमोहक |

ताका :-है जलनिधि
गहन व गंभीर
संचय करे
अमूल्य रत्नों का ही
फेंकता अपशिष्ट |


जनम मृत्यु 
ना हाथ में किसी के 
प्रभु की लीला |

माया ठगनी 
भ्रमित कर रही
 प्रभु की लीला |

धरा उत्फुल्ल 
नव पल्लव धारी
मंहा प्रसन्न |

आया वसंत 
छा गई है  बहार 
छटती धुंध |

ताका :-है जिन्दगी क्या 
टहनी फूलों भरी 
पुष्प खिलते 
वह झुकती जाती 
होती जिन्दगी वही |

आशा

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