आज पर्यावरण दिवस है कुछ विचार बांटना चाहूंगी :-
सही समय पर सही कार्य
शक्ति देता प्रकृति को
जल संचय वृक्षारोपण
हराभरा रखता धरती को
मिट्टी पानी जल वायु
मुख्य अंग पर्यावरण के
समस्त चराचर टिका हुआ है
इनके संतुलित रूप पर
कटाव किनारों का होता
यदि वृक्ष नदी किनारे न होते
मिट्टी का क्षरण होता
नदियाँ उथली होती जातीं
जल संचय क्षमता कम होती
हम और यह कायनात
जीते है पर्यावरण में
यदि संतुलन इसका बिगड़ता
कठिनाइयां निर्मित होती
प्रदूषण को जन्म देतीं
अल्प आयु का निमित्त होतीं
किरणे सूरज की
रौशनी चन्दा मामा की
तारोंकी झिलमिलाहट
सभी प्रभावित होते पर
हम अनजान बने रहते
प्रदूषित वातावरण में
जीने की आदत सी हो गई है
मालूम नहीं पड़ता
फिर भी प्रभाव
जब तब दिखाई दे ही जाते
पर्यावरण से छेड़छाड़
हितकारी नहीं होती
मानव ने निज स्वार्थ के लिए
अपने अनुकूल इसे बनाना चाहा
पर संतुलन पर डाका डाला
यही गलती पड़ेगी भारी
आने वाले कल में |
आशा
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