20 अगस्त, 2015

एक दिन और बीता



हताशा जीवन की के लिए चित्र परिणाम
एक दिन और बीता
कुछ भी नया  नहीं हुआ
वही सुबह वही शाम
उबाऊ जीवन हो गया
फीकापन पसरा हुआ
सारा उत्साह खो  गया
समस्त रंग फीके हुए
किसी का रंग नहीं चढ़ा
रस्म अदाई रह गई
मन का कुछ भी नहीं हुआ
ना ही दाल का छोंक
ना स्वाद किसी सब्जी में
ना ही रस का  समावेश
इस छोटी सी जिन्दगी में
बेरंग  बेमतलब का बोझ
उठाए घूम रहा दिल में
प्रसन्नता से कोसों दूर 
भागती दौड़ती जीवन शैली
है एक ही अहसास
कि साँस चलती  रही
थमने की जुर्रत न की  
शक्तिहीन दुर्बल शरीर 
मन भी भटकने  लगा
क्षार क्षार  जीवन हुआ
रह गया इन्तजार रात का
चूंकि अन्धकार से भय न हुआ |
आशा

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