हैं जुझारू कर्मठ
दिन रात जुटे प्रचार में
लम्बी लिस्ट वादों की लिए
जूझ रहे विजय के लिए
पार्षद पद पाने के लिए
सदावर्त जगह जगह खोले
निमंत्रण खाने का देते
नमक अपना खिला रहे है
मतदाता को पटाने को
जेब अभी खाली होगी
आगे पांचो ऊँगली घी में होंगी
यही मन में बसा हुआ है
वादे कसमें जता रहे हैं
सत्य निष्ठ हैं बता रहे हैं
प्रचार अभी सब पर हावी
पर जनता जान गई है
नेताओं को पहचान गई है
कोई कितने भी वादे करे
पारदर्शिता का दम भरे
उन्हें अपना पेट भरना है
जनता जहां थी वहीं रहेगी
मर मर कर जीती रहेगी
कोई भी सत्ता में आए
रही सदा और रहेगी आगे भी
जनता की झोली खाली
यूं ही छली जायेगी
आम जनता बेचारी |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: