07 अगस्त, 2015

रंग बेरंग


रंग भरा जीवन सुहाना
हरा भरा संगीत पुराना
जाने कब बेरंग हो गया
स्वर बेस्वर हो गया
मन में मलाल रहा
कारण जो छिपा हुआ था
अदृश्य ही रहा
ऐसा क्या घटित हुआ
उफान आया
छोटी सी तलैया में
ना ही कभी भ्रम पाला
ना दी तरजीह किसी शक को
दूरियां बढ़ती गईं
खाई और गहरी हुई
उलझने वहीं रहीं
द्रुत गति से बढ़ने लगीं
सारे रंग धूमिल हुए
जाने कहाँ खो गए
रह गया जीवन आधा अधूरा
 बेरंग बेजान सा
खोज न उसकी हो पाई
समय की भी  दी दुहाई
हाथ से फिसल गया
बापिस लौट नहीं पाया
 रंग भरे जीवन का साया |

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