शिक्षा उसे माँ से मिली
होना सुख दुःख की साथी
दुभांत न लाना मन में
वरना होगी नाइंसाफी
उनके बताये मार्ग पर चली
गर्व से सर उन्नत था
चलते चलते सोच रही थी
कार्य भी कठिन न था
आगे आगे बढ़ते बढ़ते
बाधाओं ने उकसाया
सुख के साथी बहुत मिले
न अपनाया दुःख को किसी ने
सुख दुःख की गुत्थी में उलझी
आगे बढ़ना भूल गई
जहां खडी थी वहीं रह गई
स्वप्न सजाना भूल गई
सारे स्वप्न धरे रह गए
शिक्षा कहीं अधूरी थी
कर्तव्य पूर्ण न कर पाई
अधिकार ही जता पाई |
आशा
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