माँ को श्रद्धा की चाहत
नैवैध्य की नहीं
निर्मल मन की भक्ति चाहिए
कपट की नहीं |
निश दिन जो सुमिरन करता
बिना किसी प्रलोभन के
वही होता प्रिय उसे
अभयदान मिलता उसे |
माँ तो माँ है सब जानती है
क्या चाहिए पहचानती है |
यदि मांग कर लिया
तो क्या लिया
बिन मांगे सब मिल गया
जिसने माँ पर बिश्वास किया |
निश्छल मन की मुराद
पूर्ण करती है माँ
जो भी पान फूल चढ़ाए
स्वीकार करती है माँ |
निर्धन का घर भरती
शक्ति अपाहिज को देती
कन्या को हरी चूड़ियाँ
बाँझन को पुत्र की आशा
है सौभाग्य की दाता
नमो नमो जगदम्बे माता |
आशा
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