15 अक्टूबर, 2015

माँ जगदम्बा



माँ को श्रद्धा की  चाहत
नैवैध्य की नहीं 
निर्मल मन की भक्ति चाहिए 
कपट की नहीं |
निश  दिन जो सुमिरन करता 
बिना किसी प्रलोभन के 
वही होता प्रिय उसे 
अभयदान मिलता उसे |
माँ तो माँ है सब जानती है 
 क्या चाहिए पहचानती है |
यदि मांग कर लिया
तो क्या लिया
बिन मांगे सब मिल गया 
जिसने माँ पर बिश्वास किया |
निश्छल मन की मुराद 
पूर्ण करती है माँ 
जो भी पान फूल चढ़ाए 
स्वीकार करती है माँ  |
निर्धन का घर भरती 
शक्ति अपाहिज को देती 
कन्या को  हरी चूड़ियाँ
बाँझन को पुत्र की आशा
है सौभाग्य की दाता 
नमो नमो जगदम्बे माता |
आशा






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