ना कजरे की धार चाहिए
ना नयनों के वार चाहिए
हो आभा प्रचुर मुखारबिंद पर
उसका ही खुमार चाहिए |
शब्दों के ना वार चाहिए
प्यार भरी फुहार चाहिए
नियामत मिले न मिले
छोटा सा उपहार चाहिए |
दृष्टि तेरी मैली सी
नहीं धूप रुपहली सी
कभी तो परदा उठता
ना लगती तू पहेली सी |
जब नजर से नजर मिली
कली मन की खिली
पर नजर हटते ही
प्रसन्नता धूल में मिली |
आशा
आशा
आशा
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