मीठी वाणी दुःख हरती
कटु भाषा
शूल सी चुभती
शूल सी चुभती
यही शूल
दारुण दुःख देते
दारुण दुःख देते
सहज कभी
ना होने देते
मनोभाव
जिव्हा तक आते
ना होने देते
मनोभाव
जिव्हा तक आते
चाहे जब
फिसल जाते
फिसल जाते
बापिस लौट नहीं पाते
कटुता फैलाते
आदत से
बाज न आते
बाज न आते
गहरे घाव
मगर कर जाते
मगर कर जाते
सुख चैन मन का
हर लेते
हर लेते
मुसीबतों का
कारण बनते
कारण बनते
वाणी अनमोल
रस की पगी
रस की पगी
होती मन का दर्पण
जीवन पर्यंत
शब्दों का वह जखीरा
शब्दों का वह जखीरा
याद किया जाता
यदि तोल मोल कर
बोला जाता
बोला जाता
संभाषण सब को सुहाता |
आशा
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