है आज करवा चौथ प्रिये
जलाए दीप तुम्हारे लिए
चाँद देखें या तुम्हें
तुम्ही मन में समाए हुए |
जब से तुम्हें अपना लिया
प्यार का इजहार किया
रंग तुम्हारा ऐसा चढ़ा
दूजा रंग न भाया पिया |
जो कभी दो जिस्म एक जान हुआ करते थे
जिक्र हर बात का आपस में किया करते थे
पर आशियाँ उजड़ते ही ,एक बड़ा बदलाव आया
फिर से राहें अलग हुईं ,वे मुंह फेर लिया करते थे |
जब बुरे विचार मन में आते हैं
अंतस खोखला कर जाते हैं
तब प्यार भरी एक थपकी से
हम उनसे बच पाते हैं |
आशा
जब से तुम्हें अपना लिया
प्यार का इजहार किया
रंग तुम्हारा ऐसा चढ़ा
दूजा रंग न भाया पिया |
जो कभी दो जिस्म एक जान हुआ करते थे
जिक्र हर बात का आपस में किया करते थे
पर आशियाँ उजड़ते ही ,एक बड़ा बदलाव आया
फिर से राहें अलग हुईं ,वे मुंह फेर लिया करते थे |
जब बुरे विचार मन में आते हैं
अंतस खोखला कर जाते हैं
तब प्यार भरी एक थपकी से
हम उनसे बच पाते हैं |
आशा
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