दिलों में पड़ी दरार
भरना है मुश्किल
आँगन में खिची दीवार
करती है मन पर वार
पर टूटना मुश्किल
दीवार ही यदि होती
कुछ तो हद होती
पर वहां उगे केक्ट्स
सुई से करते घाव
मजबूरन सहना पड़ते
बचने नहीं देते
सभी जानते हैं
खाली हाथ जाना है
पर एक इंच जमीन के लिए
बरसों बरस न्याय के लिए
चप्पलें घिसते रहते
हाथ कुछ भी न आता
रह जाती केवल हताशा |
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