अपशब्दों का प्रहार
इतना गहरा होता
घाव प्रगाढ़ कर जाता
घावों से रिसाव जब होता
अपशब्द कर्णभेदी हो जाते
मन मस्तिष्क पर
बादल से मडराते
छम छम जब बरसते
नदी नाले उफान पर आते
अश्रु धारा थम न पाती
अनुगूंज अपशब्दों की
वेगवती उसे कर जाती
तभी तो कहा जाता है
जब भी बोलो
मधुर ही बोलो
कटु बचन से दूर रहो
मन में कटुता ना घोलो
आशा
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