१-
श्वेत वसन
तेरे मां सरस्वती
हो मन शांत |
२-
हरा रंग है
सम्रद्ध धरणी का
कृषक खुश |
३-
भगुआ रंग
छू रहा आसमान
कुम्भ क्षेत्र में |
४-
रवि
प्रखर
झुलसा तन मन
मन उदास |
५ -
है
एक नैया
/अकेला है खिवैया
/नैया डोले ना |
६-
ढलता
सूर्य
रंग हुआ सिंदूरी
जल में दिखा |
७-
शाम हो गई
छाया तेरी डूबती
जल रहा मैं |
१0-
बहता जल
संध्या का नजारा
कहे रुक जा |
१२-
उमसबढ़ी
वारिद छितराए
चल जल्दी से |
१३-
मेरे बचवा
ढलने को है शाम
कदम बढ़ा
आशा
१0-
बहता जल
संध्या का नजारा
कहे रुक जा |
१२-
उमसबढ़ी
वारिद छितराए
चल जल्दी से |
१३-
मेरे बचवा
ढलने को है शाम
कदम बढ़ा
आशा
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