नाचते मयूर की
मदमस्त हो गई चाल
फिर नयनों से बहते अश्रु से
वह हुआ बेहाल
शायद अपने कुरूप पैर
देख हुआ यह हाल
इतनी सी बात है
और मचाया उसने बबाल |
बात इतनी सी नहीं
यह है वृहद् जाल
बादल देख वह चाहता
सान्निध्य प्रेयसी का
यह कुछ नया नहींहै
प्रतीक्षा में बेहाल
यह कैसा विधान विधाता का
आने लगा ख्याल |
आशा
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