क्यूं हुई रूप गर्विता
मदमस्त नशे में चूर
गर्व से नजरें न मिलाती
जब से हुई मशहूर
माना है तू बहुत सुन्दर
पर ना जन्नत की हूर
है तू आम आदमी ही
फिर क्यूं इतनी मगरूर
सब से दूर होने लगी है
आया क्यूं इतना गरूर
जिस दिन धरती पर
रखेगी अपने कदम
तभी सभी को जानेगी
खुद को भी पहचानेगी
गरूर भूल जाएगी
सब का दुलार पाएगी |
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