Akanksha -asha.blog spot.com
15 जुलाई, 2016
आज
कल बीता बात गई
दिन बीता रात गई
कल की किसको खबर
क्या होगा मालूम नहीं
हम तो आज में जीते हैं
अगले क्षण का पता नहीं
आज तो आज ही है
जैसे चाहो जितना चाहो
पूर्ण उपभोग उसका करो
मुठ्ठी भर रेत की तरह
कहीं समय न फिसल जाए
सब कार्य अधूरे रह जाएं
हम तो आज में जीते हैं
कल की किस को खबर |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here:
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: