बेटी मेरे घर की शोभा, आँगन में तुलसी सी
घर बाहर उजियारा करती ,दीपशिखा की लौ सी
हर क्षेत्र में हो अग्रणी, बिंदी सी सजती मस्तक पर
जहां कहीं वह कदम रखती, कोई नहीं दूसरी उससी |
२-
सुजान सुशील जिसकी बेटी
गर्व से वह सब से कहती
बड़े भाग्य से पाया मैंने
लाखों में एक है मेरी बेटी |
३-
जिस दिन उसने जन्म लिया
घर मेरा परिपूर्ण हुआ
बिन बेटी वह था अधूरा
अब जा कर वह पूर्ण हुआ |
आशा
सुजान सुशील जिसकी बेटी
गर्व से वह सब से कहती
बड़े भाग्य से पाया मैंने
लाखों में एक है मेरी बेटी |
३-
जिस दिन उसने जन्म लिया
घर मेरा परिपूर्ण हुआ
बिन बेटी वह था अधूरा
अब जा कर वह पूर्ण हुआ |
आशा
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