मिली स्वतंत्रता पंद्रह अगस्त को
स्वतंत्र देश के हैं नागरिक
आजादी कितनी मुश्किल से मिली
अब कुछ भी याद नहीं
कुर्वानी देश के लिए जिसने दी
अब किताबों तक सीमित रह गई
राष्ट्रीय त्यौहार मनाने की
रस्म अदाई बच रही
अब तो इतना ही याद है
आजादी हमारा है अधिकार
इस पर कोई न डाका डाले
हैं लड़ने मरने को तैयार
अपने अधिकार सुरक्षा को
जब आजादी मिली थी
कुछ दाइत्व भी सोंपे गए थे
वे सब कहाँ खो गए
एक भी याद न रख पाए
अधिकार सुरक्षा में ऐसे खोए
कर्तव्य पालन भूल गए
राष्ट्र ध्वज के तलेआज भी
कोई प्रतिज्ञा लेते हैं
पर कैसे पूरी की जाएं
यह तक नहीं सोचते
यही मानसिकता देश को
आगे बढ़ने नहीं देती
अर्ध विकसित तब भी था
आज भी वहीं है |
आशा
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