16 फ़रवरी, 2017

संस्कार




आज की पीढ़ी
हो रही बेलगाम
संस्कार हीन |

भव्य शहर
संस्कार हैं विदेशी
अपने नहीं |

है महां मूर्ख
संस्कार न जानता
पिछड़ जाता |

संस्कार मिले
माता और पिता से
है भाग्यशाली |
आशा

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