12 मई, 2017

बिल्ली

एक बिचारी
 छोटी सी बिल्ली
न जाने कैसे
 घर अपना भूली
भाई बहिन से बिछड़ी 
 भूखी फिरती 
मारी मारी 
म्याऊं म्याऊं करती 
अपनी ओर 
आकृष्ट करती
चूहों का लगता अकाल 
या शिकार न कर पाती
उन्हें अभी तक
 पकड़ ना पाती 
अपनी क्षुधा मिटाने को 
दूध ही मिल पाता
जब दूध सामने होता
उसकी आँखों में 
चमक आजाती
 जल्दी से चट कर जाती
अपनी भूख मिटाती 
जब भी दूध नहीं मिलता 
अपना क्रोध जताती 
घर में आने की
 कोशिश में 
ताका झांकी करती 
दूध यदि
 खुला रह जाता
सारा चट कर जाती 
किसी की निगाह
पड़ते ही 
चुपके से दुबक जाती 
अवसर की तलाश में रहती
दरवाजा खुला देख
भाग जाती 
कभी दूध गरम होता 
उसका मुंह जल जाता 
क्रोधित हो फैला देती 
जोर जोर से गुर्राती
अब तो  वह
ऐसी  हिल गई है 
समय पर  आती है 
दूध ख़तम होते ही 
मुंह अपना चाटती है 
है सफाई की दरोगा 
जाने कहाँ  चली जाती है
जिस दिन वह ना आए 
बहुत याद आती है |
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आशा





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