06 जुलाई, 2017

यायावर

घुमक्कड़ - तस्वीर के लिए चित्र परिणाम

हूँ यायावर 
घूमता हूँ जगह-जगह 
लिए भटकते मन को साथ 
हूँ गवाह 
बदलते मौसम का 
कायनात के नए अंदाज़ का 
कभी काले भूरे बादलों का 
तो कभी गर्मी से 
तपती धरा का 
कड़कड़ाती ठण्ड में 
ठिठुरते बच्चों का 
तो पावस ऋतु में 
मनोहारी हरियाली का 
जब वृक्षों ने पहने 
नए-नए वस्त्र 
हरे-हरे प्यारे-प्यारे 
कभी मन ठहरता 
इन नज़ारों को आत्मसात 
करने के लिए 
पर यायावर अधिक 
ठहर नहीं पाता 
चल देता अगले ही पल 
किसी और नयी 
मंज़िल की ओर ! 


आशा सक्सेना 

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