02 जुलाई, 2017

प्रवंचना


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सूखे बगिया के फूल 
ना बरसा पानी 
है यही कमाल 
प्रीत की रीत 
न तुमने जानी ! 
जलते दिए की  
रोशनी तो देखी 
पर लौ की जलन 
न जानी ! 
फूलों की खुशबू 
तो जानी 
पर काँटों की चुभन 
न जानी ! 
प्रेम की बातें केवल 
किताबों तक रह गयीं 
सत्य कहीं खो गया 
प्रेम का माया जाल तो देखा 
प्रेम की प्रवंचना 
न जानी ! 
पायल की छम छम 
तो देखी 
घुँघरू की बात 
न मानी ! 


आशा सक्सेना !  


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