जब स्वर आपस में टकराएँ
कर्कश ध्वनि अनंत में बिखरे
पर जब स्वर नियमबद्ध हो
गुंजन मधुर हो जाए !
यही मधुरता
गूंजने लगे चहुँ दिशि
मन में मिश्री घुल जाए
और पूर्ण कृति हो जाए !
मनोभाव शब्दों में उतर कर
कुछ नया सोच
दिल को छुए
मधुर संगीत का हो सृजन
उदासी आनंद में बदल जाए !
प्यार, प्रेम का जन्म हो
अद्भुत पलों का हो अहसास
जीवन में संगीत ही संगीत हो
हर पल, हर लम्हा
संवर जाए !
आशा सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: