09 अक्टूबर, 2017

पूनम का चाँद



शरद पूनम के चाँद सा मुखमंडल है 
उस पर स्निग्धता का भाव अनोखा है 
चन्द्र किरण की शीतलता का 
आनंद बहुत अनुपम है 
आनन पर मधुर मुस्कान है 
मौसम बड़ा हरजाई है 
काले लम्बे केशों की सर्पिणी सी चोटी 
कमर तक लहराई है 
हल्की सी जुम्बिश दी है उसने 
सरक कर चूनर मुख पर आई है 
ठंडक ने दस्तक दी है हल्की सी 
वायु के हलके से झोंके से 
नव ऋतु ने ली अंगड़ाई है 
दबे कदम शरद ऋतु आई है 
पौधों ने स्पर्श किया है 
पवन के इन झोंकों को 
उन्हें भी अहसास हुआ है 
इस परिवर्तन का 
हरसिंगार की पत्तियों पर 
ओस की बूँदें थिरक आई हैं 
नव चेतन की महक दूर से आई है 
खिली कलियाँ रात में 
फूलों पर बहार आई है 
शरद पूनम का चाँद देखा है जबसे 
निगाहों में उसकी ही छवि समाई है ! 


आशा  सक्सेना 





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