सर्द हवाओं के झोंकों से
ठण्ड बढ़ी ठिठुरते लोग
सड़क पार तम्बू में ठहरे
ठण्ड बढ़ी ठिठुरते लोग
सड़क पार तम्बू में ठहरे
फटे बिस्तर में दुबके लोग
पर बच्चों की चंचल वृत्ति
खींच लाई उन्हें सड़क पर
जल्दी-जल्दी निकालीं
छोटी-छोटी लकड़ियाँ
छोटी-छोटी लकड़ियाँ
पोलीथीन में रखी सूखी पत्तियाँ
माचिस जलाई आग लगाई
की बहुत मशक्कत अलाव जलाने में
धीरे-धीरे सुलगा अलाव
धुआँ उठा लौ निकली
चमकने लगे सुलगते अंगारे
और बढ़ने लगी थोड़ी-थोड़ी गर्मी
आ गयी चेहरों पर सुर्खी
बच्चों के प्रयत्नों की !
जब आई बच्चों की आवाज़
झाँक कर बाहर देखा
फेंकी चादर निकले बाहर
देख कर जलता अलाव !
हुआ गर्व बालकों पर
उनकी सूझ बूझ से
कुछ तो राहत पाई
कुछ तो राहत पाई
आते जाते हाथ सेंकते
सड़क पर चलते लोग
और बढ़ जाती बच्चों की
आँखों में चमक और अधरों पर मुस्कान !
आशा सक्सेना
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