कभी जीने की आशा
कभी मन की निराशा
कभी खुशियों की धूप
कभी हकीकत की छाँव
कहीं कुछ खो कर
पाने की आशा
शायद यही है
जीवन की परिभाषा
मुट्ठी भर खुशियों
गाडी भर झमेले
लेलूं मैं किसे पहले
सोचने का समय कहाँ
यही है फलसफा जिन्दगी का
देने वाला एक
लेने वाले अनेक
जो झोली भर ले आया
अधिक पाने की लालसा में
थैली फटी सब व्यर्थ में गवाया
क्या पाया क्या गवाया
है यही गणित जीवन का |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: