बड़ी बड़ी बातों से
 कोई महान नहीं होता 
एक दिन की चांदनी से 
अन्धकार नहीं मिटता 
महिला तो महिला ही रहेगी 
सुखी हो या दुखों से भरी 
एक दिन में सुर्ख़ियों में आकर 
अखवारों में तस्वीर छपा कर 
अपनी योग्यता गिनवाकर 
अन्तराष्ट्रीय दिवस में छा कर 
प्रथम श्रेणी में तो न आ पाएगी 
दूसरे दर्जे की है मुसाफिर 
प्रथम में कैसे जाएगी 
वर्षभर अनादर सहती 
बारबार सताई जाती 
अपेक्षित सम्मान न पाती 
कुंठाओं से ग्रसित वह 
कैसे यह दिवस मनाए 
अपनी पीड़ा किसे बताए |
आशा

 
 
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