27 जुलाई, 2018

बड़भागिनी नारी


हो तुम बड़भागी
भरी आत्मविश्वास से 
असंभव शब्द तुम जानती नहीं 
हर कार्य करने की क्षमता रखतीं 
तभी तो मैं हो गयी तुम पर न्यौछावर 
यही लगाव यही जज्बा 
होने नहीं देता निराश 
हर बार भाग्य रहा तुम्हारा साथी 
हो तुम विशिष्ट सबसे जुदा 
सभी तुम्हारे गुणों पर फ़िदा 
हो इतने गुणों की मलिका 
तब भी नहीं गुरूर 
हर ऊँचाई छू कर आतीं
और विनम्रता बढ़ती जाती 
ऊँचाई पर जाओ 
सफलता का ध्वज फहराओ 
और सबकी दुआएं पाओ 
बनो प्रेरणा आने वाली पीढ़ी की 
घर बाहर दोनों में सक्रिय 
निराशा से कोसों दूर 
कर लो किस्मत को अपनी मुट्ठी में 
और बनो अनूठे गुणों का गुलदस्ता ! 


आशा सक्सेना




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