हो तुम बड़भागी
भरी आत्मविश्वास से
असंभव शब्द तुम जानती नहीं
हर कार्य करने की क्षमता रखतीं
तभी तो मैं हो गयी तुम पर न्यौछावर
यही लगाव यही जज्बा
होने नहीं देता निराश
हर बार भाग्य रहा तुम्हारा साथी
हो तुम विशिष्ट सबसे जुदा
सभी तुम्हारे गुणों पर फ़िदा
हो इतने गुणों की मलिका
तब भी नहीं गुरूर
हर ऊँचाई छू कर आतीं
और विनम्रता बढ़ती जाती
ऊँचाई पर जाओ
सफलता का ध्वज फहराओ
और सबकी दुआएं पाओ
बनो प्रेरणा आने वाली पीढ़ी की
घर बाहर दोनों में सक्रिय
निराशा से कोसों दूर
कर लो किस्मत को अपनी मुट्ठी में
और बनो अनूठे गुणों का गुलदस्ता !
आशा सक्सेना
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