नन्हों की नादानी
मन में बसी रहती
पर क्रोध न दिलाती
जब तब हँसी आ जाती |
जब ऎसी नादानी
कोई बड़ा करता
मन पर प्रहार होता
असभ्य कहलाने लायक होता |
उसे नादाँ न कह पाते
आदतन की गई हरकतें
अक्षम्य होतीं सह न पाते
उसे क्षमा न कर पाते |
नादानी अनजाने में होती
जब जान बूझ कर की जाती
सजा योग्य हो जाती
एक बार यदि अनदेखा किया
बार बार दोहराई जाती |
जब आदत में शुमार हो जाती
देती सदा दुःख जीवन में
शर्म से सर झुकते जाते
पर सुधर न पाते |
आशा
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