कानों में रस घोलती
अपनी ओर आकृष्ट करती
आवाज प्रातः काल परिंदों की
स्वतः मन को रिझाती
कोयल की मधुर ध्वनि
कर्णप्रिय लगती
अपनी ओर आकृष्ट करती
कागा बैठ मुडेर पर देता सन्देश
अतिथि आगमन का
अपनी ओर आकृष्ट करती
कागा बैठ मुडेर पर देता सन्देश
अतिथि आगमन का
गृह कार्य में स्फूर्ति आ जाती
रात में जब विचरण
की इच्छा होती
जंगल बहुत प्रिय लगता
जलप्रपात का कलकल निनाद
की इच्छा होती
जंगल बहुत प्रिय लगता
जलप्रपात का कलकल निनाद
बहते जल की आवाज
अपनी ओर खीचती
उसके किनारे बैठना
जल के बहाव के संग
विचारों को पंख देना
अपनी ओर खीचती
उसके किनारे बैठना
जल के बहाव के संग
विचारों को पंख देना
बहुत रंगीन मंजर होता
हवा का बहाव उसमें
चार चाँद लगाता
चार चाँद लगाता
जब चांदनी रात होती
यूँ तो अपार शान्ति रहती
पर रात्रिचर यदाकदा
स्वर छेड़ते रहते रह रह कर
स्वर छेड़ते रहते रह रह कर
फिर भी अपूर्व आलम रहता
वहां के आनंद का
यहाँ शान्ति मन में बसती
वहां के आनंद का
यहाँ शान्ति मन में बसती
जीवन की उलझनों से
दूर बहुत दूर ले जाती
आवाज की मधुरता ही
उसकी ही है जान
उसकी ही है जान
मानो या न मानो
प्रकृति के सान्निध्य में
जो सुकून मिलता है
कहीं नहीं मिल पात़ा |
आशा
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