आओ पंख फैला कर उडें
भगवत भजन करें
है आज का पावन पर्व
पूजा की थाली सजाएं
जल का लोटा भर लाएं
मिष्ठान प्रसाद मन भर लाएं
प्रेम से दान धर्म कर पाएंगे
जब अटूट श्रद्धा होगी
तभी मनोरथ पूर्ण होगा
इसी लिए कहती हूँ
कोई कमियाँ न रह जाएं
जितनी कमीं रह जाएगी
उतना ही फल कम मिलेगा
जीवन भर पछताएंगे
मसला हल न होगा |
आशा
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