- शोर चुनाव का -
चारों ओर शोर शरावा
परदे फट जाते कानों के
किसी की है क्या समस्या
कोई नहीं जान पाता
प्रचार प्रसार में व्यस्त
चुनाव का आनंद् लेने वाले
दूध मलाई भी
उन्हें ही खानी है
भूल जाते हैं कितना
प्रदूषण फैलाते हैं
ढोल धमाकों से
नींद हराम कर देते हैं
शांती से जीने नहीं देते
कभी बेंड कभी डी जे पर
उल जलूल नाचते थिरकते
क्या प्रचार कर रहे हैं
किसका प्रचार कर रहे हैं
वही जानते है |
आशा
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