13 दिसंबर, 2018

इन्तजार


रोज रोज एक ही काम 
इन्तजार इन्तजार इन्तजार 
दुनिया कहती 
हमें कुछ हो गया है 
पर यह सच नहीं है 
हम तो पूरी शिद्दत से 
दरवाजे पर निगाहें
जमाये रहते हैं
सुबह और शाम 
दुनिया कुछ  कहे  यदि
 रास नहीं आता
 हमारा यह रवैया 
नहीं करते परवाह
दुनियावालों की 
हम कल भी इंतज़ार करते थे 
आज भी करते हैं
और करते रहेंगे कल भी 
चाहे कोई कुछ भी कहे 
हमें बदल न पाएगा 
आखिर हम से हार जाएगा 
आशा

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