रोज रोज एक ही काम
इन्तजार इन्तजार इन्तजार
दुनिया कहती
हमें कुछ हो गया है
पर यह सच नहीं है
हम तो पूरी शिद्दत से
दरवाजे पर निगाहें
जमाये रहते हैं
सुबह और शाम
दुनिया कुछ कहे यदि
रास नहीं आता
हमारा यह रवैया
नहीं करते परवाह
दुनियावालों की
हम कल भी इंतज़ार करते थे
आज भी करते हैं
और करते रहेंगे कल भी
चाहे कोई कुछ भी कहे
हमें बदल न पाएगा
आखिर हम से हार जाएगा
आशा
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