दिन में भी तारे दिखाते हैं
भरा पेट होता है फिर भी
भूखे दिखाई देते हैं |
लेखन की भूख
कभी शांत नहीं होती
शब्दों के अम्बार लगे रहते
भरा पेट होता है फिर भी
भूखे दिखाई देते हैं |
लेखन की भूख
कभी शांत नहीं होती
शब्दों के अम्बार लगे रहते
विचार भी कहाँ पीछे रहते
पहले हम पहले हम कह कर
पहले हम पहले हम कह कर
लाइन तोड़ देते हैं
क्रम में आने का
इंतज़ार नहीं करते
क्रम में आने का
इंतज़ार नहीं करते
मुश्किल फँस जाते
जब घड़ी इंतज़ार की आती
मन पर
नियंत्रण नहीं कर पाते
बहुत बेचारे हो जाते
शब्दों
के जंगल में फंस जाते
और निकल नहीं पाते
कभी शब्दों पर भारी विचार
कभी बाजी पलट जाती
विचारों की चांदी हो जाती |
आशा
कभी शब्दों पर भारी विचार
कभी बाजी पलट जाती
विचारों की चांदी हो जाती |
आशा
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