22 दिसंबर, 2018

बधाइयां















छोटी बड़ी बातों पर
देना  बधाइयां
हो गई एक प्रथा
आज कल
बधाइ चारो ओर से
लिपट जातीं उनसे
सिमट जाता उनमें ही
सारा प्यार दुलार
है आवश्यक कितना
बधाइयों का तांता
तोहफों का आदान प्रदान
तुम क्या जानो ?
आशा धन दौलत की नहीं
ऊर्जा  प्यार भरे दिल की
जो उत्पन्न  होती
प्रमुख आवश्यकता होती 
एक छोटा सा फूल
 ही काफी होता 
मनोभाव  व्यक्त करने को
दौनों के  लिए
सच तो यह है कि
 देने को बधाई
 कोई तो बहाना चाहिए 
नजदीकियां दिखाने को 
यह नहीं रस्म अदाई 
है जरुरत आज की 
पहले भी थी
 कल भी रहेगी |
आशा

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