प्रातः काल तबले की थाप
और शहनाई वादन
और शहनाई वादन
बड़ा सुन्दर नजारा होता
शुभ कार्यों का शुभारम्भ होता
प्रभाती का प्रारम्भ
शहनाई से ही होता
ध्वनि इतनी मधुर होती कि
कोई कार्य करने का
मन ही न होता
केवल उसे सुनने के अलावा
केवल उसे सुनने के अलावा
विवाह के रीत रिवाजों का सिलसिला
खुशी खुशी प्रारम्भ होता
शहनाई होती जान
किसी भी कार्यक्रम की
जब होती जुगलबंदी
तबले और शहनाई वादन की
तबले और शहनाई वादन की
स्वर के उतार चढ़ाव के
साथ
तबले की थाप की होती जुगलबंदी
श्रोता को मन्त्र मुग्ध कर देतीं
शहनाई के स्वर मन को छू जाते
यादों में सिमट जाते
सुख हो या दुःख के कारज
यह दोनो ही में बजती
इसका वादन शुभ शगुन होता
इसका वादन शुभ शगुन होता
है अनुपम वाद्य शहनाई
मन में बज उठती शहनाई
जब भी कोई शुभ घड़ी आती|
मन में बज उठती शहनाई
जब भी कोई शुभ घड़ी आती|
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: