प्यार बहुत करते हैं
पर जताना नहीं आता
पर खोज लिया सरल तरीका
प्यार के इजहार का
बेलेन्टाइन डे ले आया
जो मुंह से न किया इकरार
गुलाब का एक फूल दिया
और मुस्कराहट अधरों पर
वेलेंटाइन डे ले आया
यूं तो आवश्यक नहीं
कोई दिन हो निर्धारित
प्यार दर्शाने के लिए
पर पाश्चात्य संस्कृति की दौड़ में
कोई कैसे पीछे रह जाए
यूं भी समय नहीं है
व्यर्थ की बातों के लिए
तभी किया एक दिन निर्धारित
इजहार प्यार का करने के लिए |
आशा
शीर्षक बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात |
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-02-2019) को “प्रेम सप्ताह का अंत" (चर्चा अंक-3248) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही बात ... सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसच में ! कहाँ वक्त है प्यार का और प्यार के इज़हार का ! वैलेंटाइन डे पर रस्म अदायगी सी हो जाती है अब तो !
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