विरहन सोच रही मन में
विचारों में खोई खोई
याद तुम्हारी जब भी आएगी
हर बार कोई समस्या आएगी
वह अकेले न रह पाएगी
हर बार कोई समस्या आएगी
वह अकेले न रह पाएगी
क्यूँ समझ में न आ पाएगी
है ऐसी कैसी उलझन
जो हल न हो पाएगी
यूँ तो यादों में खो जाना
यूँ तो यादों में खो जाना
बड़ा प्यारा लगता है
प्यारा सा एहसास
जागृत होने लगता है
जागृत होने लगता है
पर कब मुसीबत बढ़ जाएगी
सब को कैसे समझाएगी
सब की नजरों में तो न गिर जाएगी
अभी दीखती बहुत लुभावनी
क्या होगा जब
जब विरह वेदना बढ़ जाएगी
दिल से न जा पाएगी
दिल से न जा पाएगी
बारम्बार समीप आकर
चैन लूट ले जाएगी
चैन लूट ले जाएगी
मुझ पर हावी हो
मुझे बहुत सताएगी
मुझे बहुत सताएगी
मेरे आकर्षण की शक्ति
क्षीण होती जाएगी
क्षीण होती जाएगी
तुम्हारा नहीं आना
बेचैन मन को न रास आएगा
दृष्टि दरवाजे
पर टिकी रहेगी
अलगाव फीका न हो पाएगा
विरही मन है कितना आकुल
यह सबको कैसे समझाएगी |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना के लिए आभार सर |
मन की दुश्चिंताओं का सुन्दर चित्रण ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार श्वेता जी
होली की शुभ कामनाएं |
वाह!!बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंहोली की शुभ कामनाएं
मेरी रचना पर आपकी टिप्पणी बहुत पसंद आई शुभा जी |
विरह व्यथा को बहुत ही सार्थकता से शब्दों में पिरोया है आपने आदरणीय आशा जी। होली की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंहोली की शुभ कामनाएं
टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
जब विरह वेदना बढ़ जाएगी
जवाब देंहटाएंदिल से न जा पाएगी
बारम्बार समीप आकर
चैन लूट ले जाएगी
मुझ पर हावी हो
मुझे बहुत सताएगी
बहुत सुंदर ,सादर नमस्कार
होली की शुभ कामनाएं
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |
बहुत ही सुन्दर दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
होली की शुभ कामनाएं अनीता जी |
हटाएंमेरी रचनाओं पर टिप्पणी कर मुझे बहुत खुशी देती हैं आप |
धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
विरह भाव का श्याम रंग लिए सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नासवा जी टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंआशा