उठो चलो आगे बढ़ो
थामों हाथ ऐसे लोगों का जो हमसफर हों हमराही हों
मनोबल पर नियंत्रण रखो
कभी भूल से भी डिगने न पाए
तभी पहुँच पाओगे लक्ष तक
ऊंचाई की आखीरी पायदान पर
स्वर्ग में विचरण का अनुभव करोगे
वहां पहुँचना कठिन तो है पर असंभव नहीं
हर यत्न सफलता में बदलो
फिर परचम लहराओ पूरे आत्म विश्वास से
करो सपने पूर्ण अपने और अपनों के
है यही कामना का धन जो सजोया है
अपने मन के आँगन में |
आशा
हर यत्न सफलता में बदलो
फिर परचम लहराओ पूरे आत्म विश्वास से
करो सपने पूर्ण अपने और अपनों के
है यही कामना का धन जो सजोया है
अपने मन के आँगन में |
आशा
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-06-2019) को "इंसानियत का रंग " (चर्चा अंक- 3364) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंसुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंमेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |