तू ही है गीत मेरा
तू है गीत मेरी हर एक धड़कन का
जाने क्यूँ मुझसे रूठा है
कभी मन में झाँक कर देखा होता
तभी कोई निर्णय करता
प्यार इक तरफा नहीं होता
कहीं न कहीं किसी ने
बरगलाया है तुझे मेरे खिलाफ
पर दूसरों की दखलंदाजी
मुझे पसंद नहीं आती
मेरे पास बैठ कर
उलझन सुलझाई होती
कारण रुसवाई का जाना होता
सच्चाई का पता चलता
मैं कितना प्यार करती हूँ तुझे
मेरी हर श्वास में
वजूद धड़कता है तेरा
है तू ही गीत मेरी हर धड़कन का
तू ही है गीत मेरा संगीत मेरा |
आशा
आपकी यह प्रस्तुति रविवार 11 अगस्त 2019 को सांध्य दैनिक 'मुखरित मौन'
जवाब देंहटाएंhttps://mannkepaankhi.blogspot.com में सम्मिलित की गयी है। चर्चा हेतु आप सादर आमंत्रित हैं।
सधन्यवाद।
सूचना हेतु आभार रविन्द्र जी |
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद अनीता जी |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंवाह ! कोमल अहसासों से युक्त बहुत ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए आभार |