है वही आज मेरे समक्ष वर्दी में
जिसकी कभी कल्पना की थी
मन बल्लिओं उछला
उसे समक्ष देख कर
मेरा था बड़ा अरमां
उसे इस वर्दी में देखूं
अपने अरमान पूर्ण करपाऊँ
है देश का ऋण मुझ पर
उसे कैसे पूर्ण कर पाऊँ
आज आया अवसर ऐसा
सर गर्व से उन्नत हुआ
उसे इस वर्दी में देख
दी उसे शिक्षा देश की रक्षा की
देश के प्रति पूर्ण निष्ठा की
समर्पण की |
आशा
मन बल्लिओं उछला
उसे समक्ष देख कर
मेरा था बड़ा अरमां
उसे इस वर्दी में देखूं
अपने अरमान पूर्ण करपाऊँ
है देश का ऋण मुझ पर
उसे कैसे पूर्ण कर पाऊँ
आज आया अवसर ऐसा
सर गर्व से उन्नत हुआ
उसे इस वर्दी में देख
दी उसे शिक्षा देश की रक्षा की
देश के प्रति पूर्ण निष्ठा की
समर्पण की |
आशा
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 07 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
हटाएंआशा जी बहुत भाग्यशाली होती हैं वे माएं , जिनके लाल देशहित के लिए वर्दी पहनते हैं | उस उल्लास को मुखरित करती मधुर प्रेरक रचना | हार्दिक बधाई आपको इस मधुर अवसर पर |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेनू जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंहर माँँ का हृदय गर्व से भर उठता है अपने लाल को वर्दी में देख कर ! सुन्दर भाव सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8.8.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3421 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अश्रुपूरित श्रद्धांजलि - सुषमा स्वराज जी - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार हर्ष जी |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंमां भारती के वीर जवानों को हमारा सलाम
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