तस्वीर भारत की -
सोने
की चिड़िया की तस्वीर
जाने
कब से मन में पनप रही थी
बचपन ने आँखें खोली थीं
परतंत्र देश में
तभी से यह था अरमान
कोई बलिदान व्यर्थ ना जाएं
भारत स्वतंत्र हो पाए
भारत स्वतंत्र हो पाए
स्वतंत्र भारत में खुल कर
सांस
लेने की कल्पना थी बलवती
बहुत उत्सुकता से
आन्दोलनों की बात सुनते थे
कभी प्रश्न भी करते थे
इससे
क्या लाभ होगा ?
उत्तर से संतुष्ट हो कर
कल्पना में खो जाते थे
धीरे धीरे कल्पना के पंख लगे
बनने लगी तसवीर अखंड भारत की
स्वतंत्र भारत हुआ
कई कठिनाइयों का किया सामना
पर दृढ इच्छा शक्ति से
पार किया सभी को
इतने वर्षों के बाद
धारा
३७० पर कार्य कर
बहुत बड़ी उपलब्धी पाई
अखंड भारत की तस्वीर उभर कर आई |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 14 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
हटाएंवाह ! बहुत सुन्दर तस्वीर खींची स्वतंत्र भारत की ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.8.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3428 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सूचना हेतु आभार विर्क जी |
हटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद अनुराधा जी |
वाह।बहुत सुंदर प्रस्तुति। सराहनीय रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सुजाता जी |