19 अगस्त, 2019

क्षणिकाएं



१-कितनी मुश्किल में हैं
तब भी खिलखिलाते हैं
सभी गम भूल जाते हैं
तेरी एक मुस्कान  पर  |

२-दो नयना तेरे लगते हों ऐसे
जैसे हों छलकते प्याले शराब के
लगता है सिमट आया है
सारा मयखाना यहीं पर |

३-सभी सुकून पा रहे
डूब कर जाम में
और और की रत लगा रहे
जाम  खाली  ले हाथों में  |

४-छलके  जाम पर जाम इस प्रकार
   मानों  कोई बंदिश नहीं थी उन पर
 दुनिया की   समस्याओं से दूर कर रहा 
उन से मुक्त हो नया कुछ लिख रहा |

आशा



6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-08-2019) को "सुख की भोर" (चर्चा अंक- 3433) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुप्रभात
    सूचना के लिए आभार सर |

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  3. टिप्पणी हेतु धन्यवाद ओंकार जी |

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  4. सुन्दर क्षणिकाएं ! बहुत खूब !

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  5. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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