17 सितंबर, 2019

सजदे





केवल सजदे करने से
 कुछ भी हांसिल नहीं होता
सजदे होते सहायक
कार्य को सफल बनाने में
जो पूरी शिद्दत से किया जाए
जरा सी भी  कमीं उसे
 पूर्ण नहीं होने देती
कुछ तो यत्न करने होंगे
उसे   सफल बनाने के लिए  
केवल सजदे तो कम करो
पर बुद्धि एकाग्र करो
सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी
कामयाबी सर आँखों पर रखेगी
प्रयत्न सफल नहीं होते
केवल प्रभू में खो जाने से
बार बार सजदे करने से
वे होते हैं सहायक तभी
जब प्रयत्न किये जाते
 पूरी एकाग्रता से
धनुर्धर अर्जुन के निशाने की तरह 
 सच्ची आस्था ईश्वर पर रख कर |
आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-09-2019) को    "मोदी स्वयं सुबूत"    (चर्चा अंक- 3462)    पर भी होगी। --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. सत्य कथन ! सजदे के साथ श्रम की भी ज़रूरत होती ही है ! विनय और हुनर दोनों साथ होते हैं तभी कमाल हो पाते हैं !

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २३ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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