15 अक्टूबर, 2019

किसने कहा तुमसे


 
किसने कहा तुमसे
कि दामन थाम लो मेरा
क्या है सम्बन्ध मेरा तुमसे
जग जाहिर किया जब से
नफरत सी हो गई है
नजरों के सामने से हटे जब से
तुम किसी काबिल नहीं हो
केवल हो दिखावे की मूरत
या हो एक छलावा
ऊपर कुछ और अन्दर कुछ
जग जाहिर हुई है
असलियत तुम्हारी जब से
नहीं है कोई उन्सियत तुमसे
तुम्हारा प्यार है एक दिखावा
परमात्मा दूर रखे तुमसे
जिल्लत सहन नहीं होती
कितनी बार कहूँ तुमसे |
आशा 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेमतलब के संबंधों से ऊब ही जाता है मन। शायद स्वार्थ हावी रहते हैं संबंधों पर।

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  2. टिप्पणी के लिए धन्यवाद पुरषोत्तम जी |

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 16 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.10.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3491 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति इस मंच की शोभा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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  5. तौबा तौबा ! किस पर इतना गुस्सा आ रहा है ! अब तो खैर नहीं उसकी !

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  6. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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