07 अक्टूबर, 2019

वर्षा (हाइकू )


१-जल बरसा
जब आसमाँ रोया
बहुत हुआ
२-अधिक वर्षा
प्राकृतिक आपदा
पीछा न छोड़ा
३-बाढ़ का दृश्य
भयावह लगता
मन डरता
४-स्याह आसमां
बेहद बरसेगा
आशा नहीं  थी
५-घरों में जल
बदहवास जन
बेचैन मन
६-बादल आए
हुई न बरसात
उमस बढ़ी
७-बढ़ा कहर
अस्तव्यस्त जीवन
वर्षा ही वर्षा
आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 08 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-10-2019) को     "झूठ रहा है हार?"   (चर्चा अंक- 3482)  पर भी होगी। --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    श्री रामनवमी और विजयादशमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. लाजवाब हाइकू ...
    वर्षा के प्रकोप को बाँधा है शब्दों में ...

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