23 अक्टूबर, 2019

हो तुम मेरा सम्बल





                                  हो तुम मेरा सम्बल
अकेली नहीं हूँ मैं
जो भी  हैं मेरे साथ
सब हैं अलग अलग
पर मकसद सब का एक
एक साथ मिलकर
देते हर काम को अंजाम
कोई नहीं ऐसा 
जो उससे मुंह फेरे
उन सब का मनोबल
 टूटा नहीं है
आशा  पर टिके हैं
है आत्मविश्वास का साथ
 तुम्हारे हाथों का
 संबल भी तो है
सफलता पाने के लिए
सर पर हाथ तुम्हारा
 पूरा भी तो है |
आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.10.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3498 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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  2. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. सूचना हेतु आभार श्वेता जी दीपावली की शुभ कामनाएं आपको |

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  4. वाह ! सुन्दर रचना ! एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से प्यारा है !

    जवाब देंहटाएं

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