तस्वीर भारत की -
          सोने
 की  चिड़िया  की तस्वीर   
 जाने
कब से मन में पनप रही थी 
बचपन ने आँखें खोली थीं
 परतंत्र देश में 
तभी से यह था  अरमान 
 कोई बलिदान व्यर्थ ना जाएं 
भारत स्वतंत्र हो पाए
भारत स्वतंत्र हो पाए
स्वतंत्र भारत में खुल कर 
 सांस
लेने की कल्पना थी बलवती 
बहुत उत्सुकता से 
आन्दोलनों की बात सुनते थे 
कभी प्रश्न भी करते थे
 इससे
क्या लाभ होगा ?
उत्तर से संतुष्ट हो कर 
 कल्पना में खो जाते थे 
धीरे धीरे कल्पना के पंख लगे 
बनने लगी तसवीर अखंड भारत की
स्वतंत्र भारत हुआ 
कई कठिनाइयों का किया सामना  
पर दृढ इच्छा शक्ति से 
पार किया सभी को 
इतने वर्षों के बाद
 धारा
३७० पर कार्य कर 
बहुत बड़ी उपलब्धी पाई 
अखंड भारत की तस्वीर उभर कर आई |


