13 जनवरी, 2020

कुहासा


भयंकर  सर्दी  का मौसम
चारो ओर बादल ही बादल
धुंद इतनी कि
 हाथों को हाथ नहीं सूझते
जरा  दूर  खड़े वाहन भी
 दिखाई न दे पाते
यदि यही हाल रहा मौसम का
बड़े हादसे हो जाते
पूरे पेपर भरे हादसों से
मन में हलचल पैदा करते
नन्हें बच्चे बेहाल होते ठीठुरते
गर्म  कपड़े पहन कर   
 शाला को बेमन से जाते
यदि छुट्टी घोषित हो जाती
मन ही मन ख़ुशी मनाते
बड़ों का भी हाल बुरा है
कुहासे से बच पाने के लिए
किसी तरह गाड़ी से जाते
कहीं अगर अलाव दीखता
 कुछ समय ठहरने  का
मन भी होता  
पर घड़ी देख भूल कुहासा
 वाहन की गति बढ़ाते
समय की कीमत क्या होती है
मानो वही पहचानते
किसी को रोकाटोकी का
अवसर नहीं देना चाहते
  यदि किसी ने कुछ बोला
कुहासे का वास्ता देते
और क्षमा मांग लेते |
आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 14 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सच में यह कुहासा कईयों के लिए काल बन कर आता है ! समाचार पत्र प्रतिदिन कुहासे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की सूचना से भरे रहते हैं ! शीत का यह प्रकोप जितनी जल्दी समाप्त हो उतना ही अच्छा है ! सामयिक रचना !

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    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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  3. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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  4. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद सुजाता जी |

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  5. सुप्रभात
    सूचना के लिए आभार सर |

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  6. बहुत सटीक अभिव्यक्ति, आशा दी

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